"सर्वाइकल कैंसर से बचाव: एचपीवी वैक्सीन का महत्व और जानकारी"
सर्वाइकल कैंसर क्या है?
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के गर्भाशय के निचले हिस्से (सर्विक्स) में उत्पन्न होने वाला कैंसर है। इसका सबसे बड़ा कारण एचपीवी वायरस है, जो सामान्यतः यौन संबंधों से फैलता है। सभी एचपीवी संक्रमण कैंसर में नहीं बदलते, लेकिन लंबे समय तक शरीर में वायरस की मौजूदगी जोखिम बढ़ा देती है।
एचपीवी वैक्सीन कैसे काम करती है?
एचपीवी वैक्सीन शरीर को उस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने में मदद करती है, जिससे भविष्य में वायरस के संक्रमण से बचाव हो सके। यह वैक्सीन मुख्य रूप से एचपीवी के उन प्रकारों के खिलाफ सुरक्षा देती है, जो सर्वाइकल कैंसर के 90% मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।
किन लोगों को और कब लगवानी चाहिए?
यह वैक्सीन 9 से 14 साल की आयु की लड़कियों के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस उम्र में वैक्सीन की दो डोज़ दी जाती हैं।
अगर पहली डोज़ 15 साल या उससे अधिक उम्र में दी जाती है, तो कुल तीन डोज़ लगती हैं।
यौन सक्रिय होने से पहले वैक्सीन लगवाना सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है। हालांकि, 45 वर्ष तक के लोग भी डॉक्टर की सलाह पर यह वैक्सीन ले सकते हैं।
लाभ और सुरक्षा
एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर के 90% मामलों को रोक सकती है।
यह जीनिटल मस्सों, एनल, वल्वा, योनि, लिंग, सिर और गले के कुछ कैंसरों से भी सुरक्षा देती है।
वैक्सीन लगवाने के बाद भी नियमित सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग जारी रखना जरूरी है।
दुष्प्रभाव
सामान्य साइड इफेक्ट्स हल्के बुखार, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द या लालिमा, सिरदर्द और हल्की थकान हो सकते हैं।
गंभीर साइड इफेक्ट्स बहुत दुर्लभ हैं, लेकिन किसी भी दवा की तरह एलर्जी की संभावना बनी रहती है।
निष्कर्ष
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में एचपीवी वैक्सीन एक महत्वपूर्ण कदम है। सही उम्र में वैक्सीन लगवाने से न सिर्फ व्यक्ति खुद, बल्कि समाज को भी इस बीमारी के खतरे से बचाया जा सकता है। जागरूकता, शुरुआती जांच और समय पर टीकाकरण महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं।
नोट - यह ब्लॉग शैक्षिक उद्देश्य के लिए है — यह ब्लॉग किसी भी तथ्य की शत-प्रतिशत सत्यता का दावा नहीं करता है। किसी भी वैक्सीनेशन या चिकित्सा सुझाव के लिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

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